हज़ारीबाग जनकल्याण हॉस्पिटल में लापरवाही,फर्जी बिल और दलाली के आरोप फिर से चर्चा में।
भानुमित्र संवाददाता।
हज़ारीबाग जनकल्याण अस्पताल एक बार फिर गंभीर आरोपों की घेरे में आ गया है। चतरा जिले की सात माह की गर्भवती महिला आइमन परवीन की सिजेरियन डिलीवरी के बाद हालत बिगड़ने पर उसे रांची रेफर किया गया, जहां वह जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रही है। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर घोर लापरवाही, जानलेवा इलाज और दलाली के गंभीर आरोप लगाए हैं।13 जुलाई को आइमन को जनकल्याण नर्सिंग होम में भर्ती किया गया था, जहां मृत शिशु का जन्म हुआ। परिजनों के अनुसार डिलीवरी के कुछ घंटों बाद ही महिला की तबीयत बिगड़ने लगी, लेकिन अस्पताल ने स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया। बाद में जब सांस लेने में तकलीफ और पेट फूलने की शिकायत हुई तो अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए और रांची रेफर कर दिया।महिला को पहले हमीदा नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए तत्काल रांची भेजने की सलाह दी। वर्तमान में उसका इलाज रांची के स्वर्णरेखा अस्पताल में चल रहा है।
संचालक को खींचकर ले गए परिजन
बुधवार को घटना से नाराज़ दर्जनों ग्रामीण अस्पताल पहुंचे और जमकर हंगामा किया। संचालक पर गाली-गलौज और मारपीट के आरोप लगे। आक्रोशित परिजन उन्हें जबरन हमीदा नर्सिंग होम ले गए और कहा कि “यह अस्पताल इलाज नहीं, मौत बेचता है।”
पहले भी लग चुके हैं फर्जी बिल के आरोप
दो दिन पहले भी जनकल्याण अस्पताल पर बिरहोर समुदाय के एक गरीब परिवार से 71 हजार रुपये का फर्जी बिल वसूलने का आरोप लगा था। ग्रामीणों का कहना है कि जिले के अधिकतर नर्सिंग होम दलालों के नियंत्रण में हैं, जहां मरीजों को कमीशन के आधार पर भेजा जाता है। इलाज की गुणवत्ता से ज्यादा जोर पैसे वसूली पर होता है।
सिविल सर्जन ने दिए जांच के संकेत
सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार महतो ने बताया कि उन्हें घटना की जानकारी मीडिया से मिली है और वे वर्तमान में छुट्टी पर हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि गुरुवार को अस्पताल का निरीक्षण किया जाएगा और उचित जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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