
पत्थरबाजों को अब जीप पर नहीं बांधेगी सेना, जो नहीं सुधरा उसकी उधेड़ी जाएगी खाल
कश्मीर, संवाददाता:
कश्मीर में पत्थर फेंकने वाले लड़कों पर इस समय भारतीय सेना का खासा ध्यान बढ़ गया है। टेरर फंडिंग के मामले में बड़ा खुलासा होने के बाद घाटी के कई पत्थरबाज बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में सेना उन्हें आतंक के रास्ते से हटाकर सुधारने का प्लान बना रही है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अशांत दक्षिणी कश्मीर के 20 लड़कों के एक समूह को भारत का भ्रमण पर ले जाया जाएगा, ताकि उन्हे देश के विकास से वाकिफ कराया जाए। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि सेना पर पत्थरबाजी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जरूरत पड़ी तो खाल भी उधेड़ेंगे
हाल ही में विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर कमांड मेजर जनरल बी एस राजू के मन में युवा पत्थरबाजों से मुलाकात कर के बाद ये विचार आया था। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में शांति का माहौल दिखने के बाद अब सेना इस नए प्लान को शुरू करने जा रही है। मेजर जनरल राजू ने कहा कि कोई भी आसानी से समझ सकता है कि वे पत्थर फेंकने में इसलिए लिप्त हैं क्योंकि वे बचपन से ही यह देख रहे हैं। वे लोग जन्म से ही अपने आसपास यह सब देख रहे। इसलिए इस छवि के गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें यह भी नहीं मालूम है कि वे क्यों पथराव कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से कई सिर्फ मजे के लिए पथराव कर रहे थे, जबकि कुछ बेरोजगार युवा पैसों के लिए ये काम कर रहे थे। सैन्य अधिकारी खुद भी एक पुत्र और एक पुत्री के पिता हैं। उन्होंने एक अभिभावक की नियमावली का पालन करने का फैसले किया। इसके अंतर्गत उन्होंने पत्थरबाजों से अनौपचारिक रूप से बातचीत शुरू कर दी। जिससे उन्हें यह पता लगे कि उनके भी सपने हैं।
सपनों को हकीकत में बदलने के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के बयान का जिक्र करते हुए सैन्य अधिकारी राजू ने युवा छात्रों को उनके करियर के बारे में काउंसलिंग शुरू की। उन्होंने कहा कि जब उनसे बात की जाती है तो पता लगता है कि उनके भी सपने हैं। अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण उन सपनों को पंख नहीं लग पाते। उनका प्रयास सिर्फ उनके सपनों को उड़ान देना था। इसी कारण से 20 ऐसे बच्चों को सेना की सद्भावना योजना के तहत भारत का भ्रमण कराया जाएगा।
सेना स्थानीय पुलिस की मदद से उन लड़कों की पहचान कर रही है जिन्हें दिल्ली ले जाया जाएगा। उसके बाद उन्हें मुंबई, जयपुर और ऐतिहासिक महत्व वाले अन्य स्थानों पर भी ले जाया जाएगा। सेना का मानना है कि विभिन्न शहरों की यात्रा के बाद जब ये बच्चे लौटकर अन्य कश्मीरियों को अपने अनुभव सुनाएंगे तो अगले समूह के लिए वे प्रोत्साहित होंगे।
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