
पनामा गेट ने छीन ली पाक पीएम की कुर्सी, अगर जांच हुई तो भारत में भी आ सकता है भूचाल!
नई दिल्ली, संवाददाता।
पनामा गेट ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी छीन ली है। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी करार दिया है. नवाज को प्रधानमंत्री रहते हुए विदेशों में अवैध संपत्ति अर्जित करने का दोषी पाया गया. पनामा गेट में सिर्फ नवाज शरीफ ही नहीं बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया के सैकड़ों हस्तियों का नाम सामने आए थे। इसमें 143 राजनेता भी शामिल हैं। भारत में भी कई सेलिब्रिटीज और कारोबारियों के नाम सामने आए और ठंडे बस्ते में चले गए। नवाज शरीफ पर इस बड़ी कार्रवाई के बाद पनामा गेट की गंभीरता को नए सिरे से समझने की जरूरत है।
क्या है पनामा गेट जिसने नवाज शरीफ को निपटा दिया?
पनामा गेट का खुलासा इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट नाम के एनजीओ ने किया था। मोसाक फोंसेका एक ऐसी कानूनी फर्म है जो कंपनी के मालिकों के नाम का खुलासा नहीं करती। लेकिन 2013 में इसके सर्वर को हैक करने के बाद दुनिया भर के सैकड़ों खोजी पत्रकारों से जांच कराई गई जिसमें भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आए।
इसमें अलग-अलग देशों के उद्योगपतियों, सेलिब्रिटी के साथ 143 राजनेता भी शामिल थे। ये ऐसे लोग थे जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के नियमों का उल्लंघन करते हुए टैक्स हैवन की मदद ली और गैरकानूनी तरीके से अपनी सम्पत्ति बनाई।
2016 में जब पनामा पेपर्स लीक में नवाज का नाम आया था, तो पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यों की एक जांच कमेटी बनाई थी। उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी, जिसके बाद 28 जुलाई को पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से नवाज को दोषी करार दिया। इसी के साथ ही नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा।
पनामा पेपर्स में भारत की भी कई हस्तियां शामिल
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के खुलासे में सैफ अली खान, करीना कपूर, करिश्मा कपूर, वीडियोकॉन कंपनी के वेणुगोपाल धूत और पुणे का पंचशील ग्रुप शामिल था। अभिनेता अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या रॉय बच्चन, डीएलएफ मालिक केपी सिंह, गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी, इंडिया बुल्स के मालिक समीर गहलौत के नाम भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों का लिस्ट में नाम शामिल हैं ये लोग टैक्स हैवन देशों में मोसेक फोंसेका की मदद से कंपनियां शुरू करते थे। कुछ पर आरोप है कि वो इन कंपनियों के आधार पर बैंक से लोन भी लेते थे। गौरतलब है कि टैक्स हैवन ऐसे देश हैं जहां टैक्स बचाने के लिए सिस्टम में छूट होती है। खास बात ये है कि टैक्स हैवन देश अपने इन्वेस्टरों के नाम का खुलासा भी नहीं करते हैं।
2004 में आरबीआई ने उदारीकरण के तहत एक नई स्कीम शुरू की थी जिसमें साल में करीब 25 हजार डॉलर की पूंजी विदेशों में निवेश की जा सकती है. बाद में इसे बढ़ाकर ढाई लाख डॉलर कर दिया गया। हालाकि 2010 में आरबीआई ने यह भी साफ किया कि विदेशों में शेयर तो खरीदे जा सकते हैं लेकिन किसी तरह की कोई कंपनी नहीं बनाई जा सकती। लॉ फर्म मोसाक फोंसेका ने इसका तोड़ निकाला और नई कंपनी बनाने की बजाए पुरानी या फर्जी कंपनी को ओवरटेक करना शुरू कर दिया।
अब आगे क्या होगा?
पनामा पेपर्स के पहले सेट में सामने आए 500 से अधिक नामों पर गौर करने के लिए भारत ने एक बहु-एजेंसी समूह का गठन किया था, जिसमें आयकर विभाग, एफआईयू, आरबीआई और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के तहत आने वाले विदेशी कर एवं कर अनुसंधान शामिल हैं। इसके अलावा इस मामले में कालेधन पर बना विशेष जांच दल भी जांच और समीक्षा कर रहा है।
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