
पशु प्रेम जो नर किन्हा तिन्ह की काया अमर भिन्हा
पशु प्रेम जो नर किन्हा तिन्ह की काया अमर भिन्हा अर्थात जो मनुष्य पशु पक्षियों से एक बार हृदय से प्रेम करता है वह इस जगत में सचमुच अमर हो जाता है
बगहा संवाददाता विजय कुमार शर्मा की कलम से
इसका सबसे बड़ा प्रमाण इतिहास की दुर्घटनाओं से हमें मालूम पड़ता है । प्रथम महर्षि बाल्मीकि के साथ जो घटना घटी उस पर ध्यान दें। महर्षि बाल्मीकि तमसा नदी के किनारे स्नान कर रहे थे क्रौंच पक्षी के एक जोड़े को एक ब्याध द्वारा हत्या कर दिए जाने पर अभिशाप स्वरूप जो उनके श्रीमुख से श्लोक निकला" मां निषाद!त्वम प्रतिष्ठाम् शाश्वति---------काम मोहिताम्"।
इस श्लोक ने उन्हें रामायण की रचनाकार बना कर अमर बना दिया। इस श्लोक ने उन्हें क्रूर रत्नाकर से कोमल हृदय वाला वाल्मीकि का मार्ग प्रशस्त कर दिया ।।
दूसरी घटना सिद्धार्थ के साथ घटी सिद्धार्थ के चचेरे भाई देवदत्त द्वारा हंस पक्षी को मार गिराया गया। देवदत्त द्वारा मारे गए पक्षी को सिद्धार्थ अपने गोद में उठाता है और उसे पानी पिलाता है।तीर निकालकर उसके घाव पर मरहम लगाता है ।इस घटना ने सिद्धार्थ को महात्मा बुद्ध तक का सफर करा देता है ।बात कर एक तीसरी घटना का करें तो महादेवी वर्मा का जीवन इसमें पीछे नहीं रहा।वह स्वयं अपने आश्रम में हिरण(सोना) और गिलहरी(गिल्लू) और गाय (गौरा) जो उनके द्वारा पालित थे ।वर्मा जी ने अपने गद्य और पद्य आदि रचनाओं में उनका वर्णन किया।आज हम महादेवी वर्मा को वेदना की अमर गायिका कह कर ,याद करते हैं। अतः आप सभी से निवेदन है कि क्या हम सभी इन तीनों महान विभूतियों के चरण चिन्हों अनुशरण नहीं कर सकते! आइए पशु पक्षियों के रक्षार्थ सवेरा मुहिम को सूरज की नव किरणों के साथ आगे बढ़िये ।
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