
झारखण्ड सरकार की अधूरी शिक्षा व्य्वस्था, विद्यालय व विद्यार्थी है पर शिक्षक नहीं।
झारखण्ड सरकार की अधूरी शिक्षा व्य्वस्था।
विद्यालय व विद्यार्थी है पर शिक्षक नहीं।
विद्यार्थियों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़।
मंडरो:-(साहेबगंज) संवाददाता।
झारखण्ड सरकार की शिक्षानिति दिन-प्रतिदिन जमीदोश होती जा रही है।जब बिहार से झारखण्ड प्रदेश का विभाजन हुआ तो झारखण्ड वासियों के अपने अधिकार व विकास की आशा हो गई,लेकिन विभाजन के बाद भी स्थिति में सुधार तो दूर सारे कार्य कागजी खानापूर्ति तक ही सीमट कर रह गई।सरकार के द्वारा शिक्षा से सम्बंधित अनेक योजना को विद्यालय में लाया गया,इन योजनाओं में कड़ोरो रूपये खर्च हो रहे है परन्तु शिक्षा व्यवस्था के हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है,उल्टे स्कुल में पठन-पाठन कर रहे विद्यार्थियों के भविष्य हेतु योजनाओं से मिल रहे लाभ के अंधेर कोठरी में उनके समय के साथ-साथ भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
जानकारी के अनुशार झारखंड के सबसे पिछड़ा जिला साहेबगंज के मंडरो प्रखण्ड के अंतर्गत मिर्जाचौकी+2 उच्य विद्यालय व वन प्रवसि उत्क्रमिक +2उच्य विद्यालय भगैया दामिन के बच्चे बेहतर शिक्षा को तरस रहें हैं।विभाग के द्वारा करोड़ों की लागत से भवन तो बनवा दिया गया लेकिन +2के लिए शिक्षक नहीं होने के कारण अधूरी शिक्षा के भरोसे ही विद्यार्थी पढ़ायी करने को मजबूर है।ऐसी स्थिति में मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे तो प्राइवेट संस्थानों में दर दर की ठोकरें खा रहें हैं तो गरीब परिवार के बच्चे सरकार के भरोसे बेहतर शिक्षा की आश लगाये किसी तरह समय व्यतित किये जा रहे है।किसी विद्यालय में दो से तिन शिक्षक है तो कहीं शिक्षक है ही नहीं तो कही उच्य विद्यालय के शिक्षक के भरोसे +2 के कार्य भार सम्भलने का जिम्मा दे दिया गया है।अब तो बस समय को व्यतित करने का कार्य हो रहा है।
सौ बात की एक बात बीते जमाने के शिक्षा के मुकाबले अब के शिक्षा सिर्फ दिखावा मात्र रह गया है।सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पांचवी व छठी कक्षा के कुछ विद्यार्थी जिन्हें शुद्ध से पहाड़ा तक नहीं लिख अथवा पढ़ पाते है।इस हकीकत से आनेवाले भविषय का अंदाजा लगाया जा सकता है,हालात अगर ऐसे हीं रहे तो शिक्षा सिर्फ प्रमाण-पत्रों तक ही सीमट कर दम तोड़ देगी ऐसी स्थिति में शिक्षा अधिकारीयों को विशेष ध्यान आकृष्ट की करने की आवश्यकता है।
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