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धो डालो गंदगी, सुगंधित हो जाएगी जिंदगी

धो डालो गंदगी, सुगंधित हो जाएगी जिंदगी

दिवाकर भारती, सहोड़ी, बिहपुर, भागलपुर

नाली में पङा कीचङ दे रहा था दुर्गंध !
इसलिए कपड़े से नाक किया बंद !!
पर कपड़े के छिद्र से मेरी नाक !
जिस भी हवा को ले रही थी साँस !!
बस ! दुर्गंध ही दुर्गंध, नहीं था उसका अंत !!
मंगाया ईतर का फोहा, कुछ देर सुगंधित हुआ !!
कुछ देर बाद , ईतर भी हो गए बर्बाद !!
सोचने लगा क्या करूँ,दुर्गंध मिटाने किसे लाऊं!!
सोचते रहा -सोचते रहा ,अंत में दिमाग ने कहा !!
धो डालो गंदगी, धो डालो गंदगी!!
बस सुगंधित हो जायेगी तेरी  जिन्दगी !!

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