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मच्छर और इंसान

मच्छर और इंसान

दिवाकर भारती, सहोड़ी, बिहपुर, भागलपुर 

अरे ये मच्छर !
गुण-गुणा कर !!
मधुर गीत सुना कर !
सोये सोये वक्त!
चूस रहे बहुमूल्य रक्त ! !
क्यों चूस रहे हो?
नहीं है मशहरी तब तो ! !
जिसे है मशहरी उसे तो गम नहीं !
तुझे भी डसने का दम नहीं ! !
ठीक है इन्तजार है सुबह का !
वक्त है हमें भी जागने का ! !
जब जायेंगे जाग!
तो हम ही करेंगे तुम पर राज ! !
हम ही करेंगे तुम पर राज !!!
  

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