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कोतवाली क्षेत्र मे दिनदहाड़े होती है लूट, अवैध व्यापार के कारण युवा हो रहे जुर्म की दुनिया मे अग्रसर

कोतवाली क्षेत्र मे दिनदहाड़े होती है लूट, अवैध व्यापार के कारण युवा हो रहे जुर्म की दुनिया मे अग्रसर

कोतवाली क्षेत्र मे दिनदहाड़े होती है लूट, अवैध व्यापार के कारण युवा हो रहे जुर्म की दुनिया मे अग्रसर

👉IPL सटोरिए बेखोफ कर रहे हैं अवैध व्यापार

अविनाश कुमार की खास रिपोर्ट:-

उन्नाव जिले के शुक्लागंज नगर में इन दिनो धड़ल्ले से चल रहा है I P L सट्टे का अवैध व्यापार गंगाघाट में इन दिनों अपराध बोल रहा है । जिसको गंगाघाट पुलिस कभी भी अपनी विफलता के रूप में स्वीकार नहीं करेगी । अब जब गंगाघाट कोतवाली के पास 3 गाड़ियां व 2 बाइकें 100 डायल मौजूद हैं, और वो भी दिनभर अपने-अपने क्षेत्रों में दिनभर गश्त करती रहती हैं , उसके बावजूद नगर में इन दिनों होने वाले अपराध पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है । अपराधियों के दिलों में पुलिस व कानून का कोई खौफ नहीं ,जिस कारण आजकल के नवयुवा दिनदहाड़े बीचरोड चैन स्नेचिंग जैसी लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहे बड़े आराम से और घटना को अंजाम देने के बाद बड़े आराम से फुर्र भी हो जाते हैं । और नगर की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस की गाड़ियां अपराधियों के भागने के बाद ही पीड़ित के पास पहुंचती हैं न कि अपराधियों का पीछा कर उन अपराधियों को अपने पुलिसिया तंत्र से धर दबोच सके सभी अपराधियों के दिलों में कानून की दहशत भरें और पीड़ित को जल्द से जल्द उसका लुटा सामान भी वापिस मिल सके कानूनी प्रक्रिया के तहत ।
इसकी सीधी वजह है कि नगर में *इन दिनों I P L सट्टे का खेल धड़ल्ले से चल रहा है और कम समय मे लखपति बनने का ख्वाब सजाने वाले युवा अपनी सारी कमाई और घर की गृहस्थी को बेंच I P L सट्टे में लगा रहे है इस खेल में खेलने  वाले तो लखपति नहीं बन सके पर इस खेल को खिलाने वाले संचालक जरूर करोड़पति बन गए हैं।
तो सट्टे में हारा हुआ नवयुवा खिलाड़ी अपराध की तरफ अपना कदम बढ़ाएगा ही और वही लोग लूट चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर देते हैं । जिसके बाद से अपराध व अपराधियों का बढ़ना शुरू हो जाता है ।
क्या माना जा सकता है कि नगर के लिए इस नासूर बने इस I P L खेल की जानकारी व सूचना गंगाघाट पुलिस के संज्ञान में नहीं है । समय समय पर गंगाघाट पुलिस I P L के सट्टेबाजों को पकड़ कर जेल भेजती जरूर है पर क्या करे गंगाघाट पुलिस जेल भेजने के बाद वह सट्टेबाज फिर से अपनी दुकानें सजा लेते हैं । क्योंकि फिर कुछ दिन तक मीडिया भी चिल्लाना बन्द कर भूल जाएगी इस खेल को और जब याद आएगी तो तो पुलिस भी अपना गुडवर्क कर लेगी इसी बहाने अपने साहबों को खुश करने के लिए ।
ऐसा मानना है कि अगर पुलिस सोंच भर ले कि मेरे क्षेत्र में कोई भी अवैध व्यापार और न ही कोई ऐसा अपराधी जो कानून व्यवस्था को चुनौती दे सके नही कर सकता । तो मान  लीजिये कि नगर से अपराधी कैसे भाग खड़े होते हैं और जब अपराधी ही नहीं होंगे तो जराइम जैसे कार्य संचालित ही नही होंगे ।और सट्टे के खेल में लुटने वाले नवयुवकों को भी इस दलदल में घुसने से बचाया जा सकता है  और जब सट्टे जैसे खेलो पर पुलिस अपना कानूनी शिकंजा कस ले गई तो मान लीजिए कि नगर में लूट व चोरी जैसी बढ़ी घटनाओं पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है
यही तो सोंचनीय विषय है गंगाघाट पुलिस की कार्यप्रणाली व चुस्ती फुर्ती का , कि जब ऐसा होना संभव है और एक तरह से यह गैरकानूनी भी है तब आखिर गंगाघाट पुलिस उन सट्टा संचालकों पर क्यो नही अपना नकेल कसने की सोंच रही है और न ही पकड़ कर जेल भेज रही । ताकि नगर के लिए बन चुके इस नासूर को दूर ही जड़ से उखाड़ दिया जाए ।
क्या गंगाघाट पुलिस उन मुख्य सट्टा संचालको को ही नहीं पहचानती जो आज तक उनकी पकड़ में नहीं आते ?
या फिर वही सट्टा संचालक पुलिस को गुडवर्क कराते हैं जिसके लिए गंगाघाट पुलिस उन संचालकों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नही करती ?
जिस कारण गंगाघाट में सट्टा नवयुवाओं के लिए नासूर बनता जा रहा है और गंगाघाट से रोज एक युवा अपराध की ओर अपना कदम बढ़ा रहा है

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