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शासकीय स्कूलों में बन रहा चूल्हे पर खाना

शासकीय स्कूलों में बन रहा चूल्हे पर खाना

आदर्श ठाकरे
ब्यूरो चीफ     जिला बालाघाट


    
        धुआं रहित रसोई तैयार करने की कामना के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना यर्थाथ के धरातल पर धराशायी होते दिख रही है। उज्जवला योजना के तहत घर घर गैस सिलेंडर के बाद स्कूलों के भी मध्यान्ह भोजन को धुआं रहित बनाने के लिये गैस कनेक्शन वितरित किये गये थे जो आज शोभा की सुपारी बने हुये है। जिसका लाभ मध्यान्ह भोजन प्रदान कर रहे शासकीय स्कूलों में प्राप्त नही हो रहा है। 
     यहां मध्यान्ह भोजन परोसने व बनाने व खाने वाले बच्चे धुआं युक्त भोजन कर रहे है। वर्तमान समय में वारासिवनी जनपद, खैरलांजी जनपद पंचायत अंर्तगत आने वाले शासकीय प्राथमिक स्कूलों में गैस खत्म होने के बाद चूल्हे पर खाना बनाया जा रहा है। जिससे जहां बच्चों के स्वास्थ पर भी प्रभाव पड़ रहा है। वही गैस खरीदने अलग से कोई राशि का प्रावधान भी शासन ने नही बनाया है।

यहां यह बताना लाजमी है की मध्यप्रदेश शासन द्वारा संचालित हो रहे अधिकांशता शासकीय स्कूलों में जितनी दर्ज संख्या उतने के हिसाब से ही शासन भुगतान करता है। ऐसे में शासकीय व माध्यमिक शालाओं को वर्ष २०१९ में उज्जवला योजना के तहत मध्यान्ह भोजन बनाने के लिये २ – २ भरी गैस टंकी प्रदान की गई थी। मगर कोराना काल के चलते स्कूल बंद हो जाने के कारण यह टंकियों की सेवा काफी लंबे समय तक चली। मगर इसके बाद शासन के शिक्षा विभाग ने कोई ध्यान नही दिया जिसकी वजह से आज अनगिनत स्कूलों में चूल्हे पर खाना बन रहा है। जिसके धुआं से छात्र छात्राऐं व शिक्षक शिक्षिकाओं की आंखो व उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ रहा है।

इस संबंध में शासकीय प्राथमिक शाला ब्रांच नं.१ की प्रधान पाठिका श्रीमती इंदु बाला डहरवाल ने पद्मेश को बताया की हमारे स्कूल को भी २ टंकी व १ चूल्हा प्राप्त हुआ था। वही एक शाला एक परिसर के तहत उत्तर बुनियादी प्राथमिक शाला को स्कूल की जर्जर अवस्था के कारण हमारे ही स्कूल में मर्ज कर दिया गया था। हालांकि यह स्कूल को शासन ने बंद कर दिया। ऐसे में वर्ष २०१९ में हमारे स्कूल के कोटे से २ टंकी व मर्ज किये गये स्कूल की २ गैस टंकी प्राप्त हुई थी। जिससे हमारा कार्य मध्यान्ह भोजन के लिये चल रहा था। लेकिन ४ -५ दिन पूर्व सभी गैस टंकी खाली हो चुकी है। जिसकी वजह से हमें चूल्हे पर खाना बनवाकर मध्यान्ह भोजन परोसना पड़ रहा है।

वही शासकीय उत्तर बुनियादी माध्यमिक कन्या शाला के प्रधान पाठक मोहम्मद एजाज कुरैशी ने पद्मेश को बताया की बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से मध्यान्ह भोजन की राशि प्राप्त होती है जो काफी कम है। इस महंगाई भरे दौर में हर वस्तु के दाम महंगे है। ऐसे में जो राशि शासन से प्राप्त हो रही नाकाफी है। ऐसे में हमें इस राशि में ही महिने भर उन्हे खाना खिलाने के साथ ही गैस भराना पड़ रहा है। कई मर्तबा हम लोग गैस खत्म होने पर चूल्हे में खाना बनाते है और शीघ्र ही गैस अपनी जेब के पैसे से बुलाते है। हम चाहते है की शासन को इस और ध्यान देना चाहिये।

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