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पत्थर माफिया ज़ाहिद अंसारी, अजय भगत व पिन्टू सिंह मिटा रहे राजमहल पहाड़ी के दामिनभिट्ठा, मुण्डली, भुताहा का अस्तित्व

पत्थर माफिया ज़ाहिद अंसारी, अजय भगत व पिन्टू सिंह मिटा रहे राजमहल पहाड़ी के दामिनभिट्ठा, मुण्डली, भुताहा का अस्तित्व

झारखंड के साहिबगंज जिला इन दिनों सरकार के राजस्व को चुना लगाने व अवैध पत्थर के कारोबार के नाम से काफी बदनाम हो चुका है। इन दिनों ईडी व एनजीटी की टकटकी नजर साहिबगंज जिला पर है। लेकिन देखा जाय तो साहिबगंज जिला के पहाड़ को पत्थर माफियाओं ने कुतर-कुतर कर निवस्त्र कर दिया गया है। हरी-भरी राजमहल की पहाड़ी का पत्थर माफिया ने नक्शा ही बदल दिया है। खादी ही नही बल्कि खाकी सहित कई सफेदपोश अवैध खनन में शामिल होकर संपत्ति बनाते रहे लेकिन जाँच एजेंसियों के निशाने पर भी आ गए। जिले के बच्चों की जुबान पर इस लूट की कहानी है। इस लूट के बाद कई ईडी की जद में आ चुके हैं। लोग कह रहे हैं कि राजनीतिक मंचों पर नेता जल, जंगल और जमीन की बात तो करते देखे जाते है लेकिन जल जमीन व जंगल को लूटते माफियाओं पर शिकंजा नही कसा जाता।  अवैध खनन, अवैध क्रशर व पर्यावरण संरक्षण पर नजर रखने एवं पहाड़ों को बचाने की बात आती है तो नेता चुप्पी मार देते है। 

लोगों का कहना है कि पहाड़ों का राजा पहाड़िया रंक बनकर गुजर बसर करता रहा। जबकि पत्थर माफिया चौगुनी तरक्की करते रहे।  अति का अंत होता है, यानी हर एक चीज की एक सीमा होती है। देखते-देखते साहिबगंज जिला में एक हजार करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आ गया। ईडी की गाड़ियाँ जिले के शहर से लेकर गांव की गलियों में दौड़ने लगी। देखते ही देखते नेता अधिकारी नकाबपोश केंद्रीय जांच एजेंसियों के राडार पर आ गए। लेकिन अब ज़िले में जाँच एजेंसियों का भी डर खनन माफियाओं में खत्म हो चुका है।
केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी के बाद भी राजमहल की पहाड़ियों को लूटा जा रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नियम विरुद्ध जिला में लगातार पहाड़ी को नोचा जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर बैंक बैलेंस बनाया जा रहा है परंतु खादी से लेकर खाकी तक को चुप्पी साधे रहना कई सवालों को खड़ा कर रहा है।
जिला मुख्यालय के मंडरो अंचल के पहाड़ों को धड़ल्ले से काटे जाने का नजारा की जांच के कारण कई पत्थर माइंस व क्रेशर वर्तमान में बंद पड़े है। लेकिन कुछ बाहुबली पत्थर माफिया अब भी पत्थर खदानों में ब्लास्टिंग कर रहे है लेकिन कार्रवाई से बचते रहे है, आखिर फंडा क्या है? 

 जनता कहती है जिस दिन वाहनों का परिवहन बंद होता है। उस दिन छापेमारी होगी ऐसी आशंका जनता को हो जाती है। गोपनीयता की शर्त पर अंचल के कर्मी ने बताया कि पदाधिकारी दबी जुबान से कहते हैं कि दबाव के कारण मजबूरन समझौता करना पड़ता है। वहीं अंचल के कुछ कर्मियों ने दबी जुबान से बताया कि अवैध खनन व चेकनाका पर गाड़ियों के पार कराने के टोकन के खेल में अजय नामक व्यक्ति का दबदबा कायम है व अधिकारियों का प्रिय भी है। अफसर से लेकर कई सफेदपोशों को काली कमाई का हिस्सा देता है।  पदाधिकारियों पर आखिर ये दबाव किसका होता है यह जांच का विषय है। सूत्रों की मानें तो इसी कारण से आज तक कठोर कार्रवाई नहीं हो पाई। 

कई जानकार बताते है कि मंडरो अंचल अंतर्गत दमिनभिट्ठा, मुण्डली, भुतहा मौजा क्षेत्र में प्लाट संख्या- 1 व 2 गैरमजरूआ जमीन में , प्लाट संख्या 59 को 60 बताकर, प्लाट संख्या एक व दो को 33, 34, 35  बताकर प्लाट संख्या 78, 79 व  80 जिसका सीटीओ नहीं है  उसपर भी अवैध तरीके से ब्लास्टिंग कर पत्थर माफियाओं ज़ाहिद अंसारी, अजय भगत व पिन्टू सिंह के द्वारा अवैध पत्थर खनन रात के अंधेरे में किया जा रहा है। वही अवैध पत्थर परिवहन भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रात्रि 8 बजे के बाद अवैध पत्थरों का परिवहन शुरू हो जाता है। हालांकि जिला प्रशासन को ओर से समय समय पर छापेमारी की जाती है। स्थानीय ग्रामीण बताते है कि जिस दिन छापेमारी होनी होती है उसके पूर्व से ही क्षेत्र में अवैध पत्थरों का खनन व परिवहन बन्द हो जाता है। सिर्फ दिखावे के लिए छापेमारी होती है। इसमें मंडरो अंचल के अधिकारियों , खनन विभाग  के अधिकारियों एवं स्थानीय प्रसाशन की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता.


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