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यदि तकदीर लिखने का हक विधाता ने मां को दिया होता तो जीवन में एक भी गम नहीं होता  : बासमती

यदि तकदीर लिखने का हक विधाता ने मां को दिया होता तो जीवन में एक भी गम नहीं होता : बासमती



बड़कागांव / संवाददाता
प्रदीप कुमार


बड़कागाँव:- सांड पंचायत के पूर्व पंचायत समिति सदस्य बासमती देवी ने  मदर्स डे पर अपनी बातों को शेयर करने के दौरान अपनी मां को याद कर भावुक हो गई और उनका गला रूंध आया। कहा की जब मैं आठवीं क्लास में पढ़ रही थी तभी मैंने अपनी मां को खोया है। एक बच्चे के लिए मां का गुजर जाना बहुत ही दुखदाई होता है। मां मुझसे बहुत प्यार करती थी जिसे  कभी भूल नहीं सकती हूं।मां ऐसा अटूट रिश्ता है जिसमे कभी धोखा नहीं होता l आगे कहीं की  किसी के तकदीर में एक भी गम ना होता, यदि तकदीर लिखने का हक विधाता ने मां को दिया होता l सृष्टि ने सबसे अच्छी रचना मां को किया, मां हर किसी के जिंदगी का आधार है। मां ना होती तो आप ना  हम  होते l भगवान की पूजा करने से भले भगवान मिले या ना मिले, परंतु मां की पूजा करने से भगवान जरूर मिलते हैं l

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