
क्या कभी किसी वृक्ष को किसी प्राचीन धरोहर को बचाने की जुगाड़ करते हुए देखा है? यदि नहीं तोे इस तस्वीर को ध्यान से देखिए
विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिमी चंपारण बिहार
बगहा :- क्या आपने कभी किसी वृक्ष को किसी प्राचीन धरोहर को बचाने की जुगाड़ करते हुए देखा है? यदि नहीं तो इस तस्वीर को ध्यान से देखिए ।यह बरगद का पेड़ हम मानव को संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी कहलाने के दंभ पर अट्टहास करता प्रतीत हो रहा है। जरा सोचिए जिन निर्दोष, अबोध वृक्षों को बिना किसी अपराध के हम निर्ममता पूर्वक उनको काट देते हैं या आग के हवाले कर देते हैं ।वे वृक्ष हमें एक पिता या माँ की तरह अपनी अपनी गोद में बैठाकर शीतल छांव देते हैं। अपने फलों को खिलाकर हमारे क्षुधा को शान्त करते हैं। ये वृक्ष अपने तना, फल, फूल ,पत्ती सभी से हमारी अद्भुत सहायता करते हैं। इसके अलावे भी हमारे बनाए गए भवनों को जिसे हम खंडहर समझ कर छोड़ देते हैं उन्हें भी सहारा देकर संजोए रखने मे हर पल तत्पर होते हैं ।ध्यान दीजिए इस चित्र पर कि किस तरह से यह बरगद मानव निर्मित इस परित्यक्त भवन की दरक चुँकि बिमों को अपना सहायता प्रदान कर उसे नष्ट होने से बचा रखा है। वृक्षों के अजीबो -गरीब करनामे आप बाल्मीकि नगर के वनों में बखूबी देख सकते हैं। याद कीजिए यह वही वन है जहां वाल्मीकि ने रामायण की रचना की । लव कुश इतने बड़े तीरंदाज हुए कि मेघनाथ को मारने वाले लक्ष्मण को ही मूर्छित कर डाले । इसलिए यह ध्यान दें कि हम अपने निजी स्वार्थ या लोभ से वशीभूत हो कर वृक्षों को या जंगली जानवरों को क्षति न पहुंचाएं ।क्योंकि वन है तभी जीवन है ।हमें यह याद रखना चाहिए कि जीवन शब्द में वन जुड़ा हुआ है(जी+ वन)। भौतिकवाद और स्वार्थ से परे, मनुष्य को वृक्षों से ही सीख लेना चाहिए ।अगर हम जीवन में कुछ न करें ,केवल वृक्ष ही बन जाए तो पूरे विश्व का कल्याण हो जाएगा। क्योंकि वृक्ष केवल देना जानता है इसीलिए वह दीर्घजीवी है और हम मनुष्य केवल लेना जानते हैं इसीलिए संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होने के बावजूद भी वह अल्पायु है। अंततः हमे यह संकल्प लेना चाहिए वृक्षों रक्षति रक्षितः।
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